गाइड
मार्केटिंग की पहुंच क्या है? एडवरटाइज़र के लिए गाइड
ऐसे कई तरीक़े हैं जिनके ज़रिए पहुँच आपके ऐड कैम्पेन और मार्केटिंग रणनीति में सबसे ज़रूरी क़दम साबित हो सकते हैं. यहाँ हम सभी लेवल के एडवरटाइज़र के नज़रिए से ख़ास बातों की जानकारी दे रहे हैं.
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मार्केटिंग में पहुँच का मतलब क्या होता है?
मार्केटिंग में पहुंच का मतलब आपके ऐड या कैम्पेन के कॉन्टेंट को देखने वाली ऑडियंस की साइज़ के मेजरमेंट से होता है. पहुंच आपकी असल ऑडियंस को मापती है और मार्केटिंग की पहुंच ऐसे संभावित कस्टमर को मापती है जिन तक कैम्पेन के ज़रिए पहुंचा जा सकता है. इससे खास ऑडियंस सेगमेंट या आबादी के व्यापक प्रतिशत के बारे में जानकारी मिल सकती है.
इंक्रीमेंटल पहुँच में ओवर-द-टॉप (OTT) वीडियो कैम्पेन की पहुँच के साथ ही लीनियर कैम्पेन की पहुँच भी शामिल होती है. पहुँच के मामले में यूनीक (ऐड देखने वाले लोगों की संख्या) और इम्प्रेशन (स्क्रीन पर आपके ऐड दिखाई देने की संख्या) का भी आपस में गहरा सम्बंध होता है.
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मार्केटिंग में पहुँच को अहम क्यों माना जाता है?
मार्केटिंग में पहुंच की अहमियत न सिर्फ़ आपके ऐड की ऑडियंस को मापने की वजह से होती है, बल्कि इससे आपको ऐड के असरदार होने का विश्लेषण करने में भी मदद मिल सकती है. जैसे, कम कन्वर्ज़न वाली ज़्यादा पहुंच को देख कर आप यह सवाल उठा सकते हैं कि कस्टमर आपके ऐड से एंगेज क्यों नहीं हो रहे हैं. पहले अपनी ऑडियंस की साइज़ का पता लगाने के बाद आप तय कर सकते हैं कि कन्वर्शन और बिक्री के लिए आपके लक्ष्य क्या होने चाहिए.
इसके अलावा, और भी कई तरह की पहुँच होती हैं. इनमें पेमेंट वाली पहुँच (पेमेंट वाले ऐड की पहुँच) और ऑर्गेनिक पहुँच (सामान्य तरीक़े से आपके ऐड देखने वाले लोगों की संख्या) शामिल हैं.
पहुँच और इम्प्रेशन में क्या फ़र्क़ है?
जहां पहुंच से आपके ऐड की ऑडियंस को मापा जाता है, वहीं इम्प्रेशन से आपके ऐड दिखाए जाने की संख्या को मापा जाता है. इसका मतलब यह भी है कि आपकी पहुंच के मुकाबले इम्प्रेशन की संख्या काफ़ी ज़्यादा हो सकती है और आम तौर पर ऐसा ही होता है. इसकी वजह यह है कि कंज़्यूमर को एक ऐड कई बार दिखाया जा सकता है. ऐसी स्थिति में, ऑडियंस की बोरियत के बारे में सोचें: एक ही ऐड को बार-बार देखते रहना सबसे अच्छा कस्टमर एक्सपीरिएंस नहीं होता है.
इसे रोकने में मदद पाने के लिए फ़्रीक्वेंसी कैपिंग का इस्तेमाल करने के बारे में सोचें, इससे आप अपना हर ऐड कस्टमर को दिखाए जाने की संख्या कम कर पाएँगे. हर व्यक्ति के हिसाब से आपके ऐड को दिखाए जाने की संख्या या उसके इम्प्रेशन की संख्या को फ़्रीक्वेंसी कहा जाता है. अगर आप अपने कस्टमर को बेहद कम समय में बार-बार दिखाए जाने वाले ऐड से बोर नहीं करना चाहते हैं, तो फ़्रीक्वेंसी कैपिंग की मदद से आप अपने ऐड इम्प्रेशन के लिए सीमा तय कर सकते हैं.
मार्केटिंग में पहुंच का कैल्क्युलेशन किस तरह किया जाता है?
अक्सर आपके ऐड को कम से कम एक बार देखने वाले कस्टमर की संख्या के हिसाब से पहुंच का कैल्क्युलेशन किया जाता है. मार्केटिंग की पहुंच से आपके ऐड की संभावित ऑडियंस के बारे में पता चलता है. आपके ऐड देखने वाले कस्टमर की संख्या को अक्सर ऑडियंस तक पहुँच भी कहा जाता है या इसे मार्केटिंग की पहुँच के मामले में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए, यह पक्का करें कि आपकी डिजिटल एनालिटिक्स रिपोर्टिंग के मेट्रिक से साफ़ तौर पर पता चले कि यह असल पहुँच है या अनुमानित पहुँच है.
अच्छी पहुंच और फ़्रीक्वेंसी के मामले में कोई एक खास संख्या नहीं होती है. इसे पूरी तरह से आपके ब्रैंड और मार्केटिंग कैम्पेन से जुड़े आपके लक्ष्यों के हिसाब से तय किया जाता है. जैसे, नए ब्रैंड का मकसद जागरूकता पैदा करना और नए कस्टमर के तौर पर अपनी ऑडियंस साइज़ को बढ़ाना हो सकता है, जबकि अच्छी तरह से जाने-पहचाने ब्रैंड का मकसद अपनी मौजूदा ऑडियंस के बीच एंगेजमेंट और बिक्री बढ़ाने पर फ़ोकस करना हो सकता है. उपलब्ध सभी एनालिटिक्स को अच्छी तरह से देखें और अपनी रणनीति में बदलावों और लक्ष्यों से जुड़े फ़ैसले लेने के लिए उन्हें इस्तेमाल करें.
मुझे अपनी मार्केटिंग पहुंच को बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए?
अपनी मार्केटिंग पहुँच को बेहतर बनाने का एक तरीक़ा यह है कि ऑडियंस सेगमेंटेशन का इस्तेमाल करें या अपने ऐड के लिए कई तरह की ऑडियंस तलाश करें, उसके बाद ख़ास ऑडियंस सेगमेंट के लिए कस्टम ऐड बनाएँ. इससे आपको यह तय करने में भी मदद मिल सकती है कि आपके पास अपनी पहुंच बढ़ाने के अवसर कहां मौजूद हैं और खास तौर से उन ऑडियंस के लिए ऐड बनाएं.
दूसरा तरीक़ा यह है कि आप ओमनीचैनल मार्केटिंग रणनीति के ज़रिए पहुँचने के बारे में सोचें. इस बारे में सोचें कि आपकी ऑडियंस, कैम्पेन और मार्केटिंग चैनल के सेक्टर में किस तरह से पहुंच अलग हो सकती है या उसे अलग-अलग तरीकों से ऑप्टिमाइज़ किया जा सकता है.
मार्केटिंग में पहुंच के उदाहरण कौन से हैं?
पहुँच बढ़ाने का एक तरीक़ा कनेक्टेड होम से जुड़ी रणनीति बनाना है. आपके कस्टमर जहां हैं वहीं पर उन तक पहुंचने के तरीकों के बारे में सोचें, जैसे, Streaming TV के ज़रिए डिजिटल मार्केटिंग का इस्तेमाल करना. अपने ब्रैंड को घरों में देखे जाने वाले चैनल पर इंटीग्रेट करना भी पहुंच बढ़ाने का एक तरीका है.
कस्टमर तक पहुँचने का दूसरा तरीक़ा प्रोडक्ट टार्गेटिंग का इस्तेमाल करना है. आप Sponsored Display या Sponsored Products इस्तेमाल करके मिलते-जुलते प्रोडक्ट और कैटेगरी में ख़रीदारी कर रहे कस्टमर को अपने ऐड दिखा सकते हैं. यह एक ऐसा तरीका है जिससे आप अपने ऑफ़र में पहले से दिलचस्पी रखने वाले कस्टमर पर फ़ोकस करके अपनी पहुंच के मामले में ज़्यादा स्मार्ट हो सकते हैं.
पहुँच कई मेट्रिक में से एक ऐसा मेट्रिक है जिसकी मदद से आप अपने ऐड कैम्पेन ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं, इसलिए इसे अन्य फ़ैक्टर और एनालिटिक्स के साथ मिला कर इस्तेमाल करने के बारे में सोचें और इसे बेहतर बनाने के तरीक़ों के साथ नए एक्सपेरीमेंट करते रहें.
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